Wednesday, April 8, 2009


मुझे उनको मनाने का करीना ना आया ..
उनकी भी जबीं पे.. कभी पसीना ना आया ..!!!

मैं फ़कत लड़ता ही रहा..लहरों से..गम-ए- यार की...
साहिल पे कभी मेरे सफीना ना आया..!!

मेरा साकी भी..बरहम ही रहा..मुझसे उम्र तमाम..
लग्जिश मेरी ..मुझको अदब-ए-पीना ना आया..!!!

एक मुद्दत से जंग है..ज़हन-ओ दिल के दरम्यान..
एक मुद्दत से उनमें ..सकीना ना आया..!!!

अहद -ए-तर्क करते फिरते हैं..हर नाकामियों के बाद..
मुझ ही को शायद सलीका -ए -जीना ना आया..!!!

(करीना: rule/skill; सफीना: boat; बरहम:upset; लग्जिश:mistake; ज़हन: mind;
सकीना: peace; अहद -ए-तर्क: promise to withdraw; सलीका: ways)



Wednesday, April 1, 2009


ऐसे खुशकिस्मत कहाँ ..कि कोई हमसफ़र मिले..
बस जाए मेरी नज़रों में....कोई ऐसी नज़र मिले ..!!!

मिल न सका पनाह.. हमे एक बस्ती- - दिल में..
मिलने को ...यूँ तो.. कई सेहरा -ओ-शहर मिले....!!!

ऐ काश कि, कभी तो करम हो,... और आये रु-ब-रु ..
वो जो ख्वाबों में मुझको अक्सर मिले..!!

एक मुझको ही उसकी संग दिली का इल्म न था..
बाकी सब ..इस से बा-खबर मिले..!!!

झूझता फिरता हूँ तल्खियों से जमाने की..
मुझए कभी तो कुछ फिरदौस-ऐ -नज़र मिले...!!!

इंतहा अब और क्या होगी...
मुझको खुशियों में भी नौहागर मिले....!!

अब के मिला बजाहिर..तो पूछूंगा बेरुखी का सबब..
की मेरे उम्मीद-ओ-बीम को कोई तो दर मिले..!!!


(तल्खियां- bitterness; फिरदौस -ए-नज़र: paradise for the sight;
नौहागर :mourner/lamentor; बजाहिर - face to face; उम्मीद -ओ -बीम : expectations & dissappointment )