Emoxpression...!!!
Emotion....Expression.....!!!
Friday, July 20, 2012
Tuesday, December 8, 2009
Friday, October 2, 2009
अफ्सुर्दगी-ए-दिल में भी जी को जलाते रहे ..
हम भी बे- वजह खुद को आजमाते रहे. ...!!
जाने कौन सी घड़ी में.. ये इख्तियार-ए-हुनर कर लिया ..
उलझी हुई जिंदगी को और भी उलझाते रहे....!!
कुछ तो एहसास पहले भी था, मंजिल की हकीकत का...
फिर भी, चलते रहे, खुद को बहलाते रहे...!!
वो जो उम्मीद सी थी..यूँ बे-वजह भी न थीं...
वो भी अपने ही थे ..जो सब्ज-बाग़ दिखलाते रहे ...!!
शायद यही दुनिया का चलन हो..ये मान कर हम..
मिलते जुलते रहे...आते जाते रहे...!!!
फिर कभी जो धुन सी सवार हुई...तो 'साहिल' की रेत पे....
बैठ कर घंटों..जाने क्या क्या बनाते रहे...!!!
(अफ्सुर्दगी-disappointment; इख्तियार-ए-हुनर: developing a skill;सब्ज-बाग़- )
Friday, September 4, 2009
कभी उतरते थे दिल में, अब दिल से उतर जाते हैं...
चुनते हैं खुद को,.. फिर खुद ही बिखर जाते हैं.....!!!
बज्म-ए-यार की कुछ यूँ आदत सी पड़ गयी...
एहसास-ए-तन्हाई से अब डर जाते हैं...!!!
न कोई मंजिल, न ठिकाना, न कोई जुस्तजू ...
बस चल चलें हैं,.. जहाँ तक राहगुजर जाते हैं...!!
न कोई रब्त, न ही आशना किसी से ....
कोई मिले भी तो,.. बचाकर नज़र जाते हैं....!!!
हम भी उनसे कुछ दूसरे न निकले
जो फकत जीते हैं,.. फिर मर जाते हैं...!!!
कभी मिलें,.. तो पूछूंगा,.. उनसे दुनिया का फरेब....
सुना है फ़कीर घर-घर जाते हैं...!!!
दे सको कुछ मुझको, तो थोडी दुआएँ ही दे दो....
कहते हैं, दुआओं से किस्मत संवर जाते हैं...!!
खैर, इतने मायूस भी न हो, ..की अब भी कुछ नहीं बिगड़ा ...
'साहिल', ये वक्त के पहिये हैं,...आते हैं, गुजर जाते हैं..!!
(बज्म: gathering; जुस्तजू : desires; राहगुजर: road; रब्त:closeness; आशना: aquaintance;)
Thursday, August 20, 2009
बंद तो होनी ही हैं आँखे..क्या ख्वाब करना...
क्या अच्छा , क्या बुरा, क्या हिसाब करना ..!!
हम जो करते हैं...मर्ज़ी है खुदा की ही...
क्या छुपा है उस से..क्या हिजाब करना...!!
ये जरुरी नहीं की हर सवाल लाजिमी हो...
हर सवाल का क्या जवाब करना ...!!
इतनी बेदिली में भी ..जो मस्त जीये चले जातें हैं...
मेरे इस तकमील पर... कोई खिताब करना ...
बेरुखी इतनी, अच्छी नहीं..किसी सूरत-ए-हाल में ...
इतना तो मरासिम रखना, की आदाब करना...!!!
जो मुमकिन हो.. तो मत कर, इन लहरों से दिल्लगी 'साहिल'
जो खुद हों बेताब, उन्हें और क्या बेताब करना..!!
(हिजाब: veil; तकमील: achievement; खिताब: to give some name in honour;
मरासिम: relationship; आदाब: to greet)
क्या अच्छा , क्या बुरा, क्या हिसाब करना ..!!
हम जो करते हैं...मर्ज़ी है खुदा की ही...
क्या छुपा है उस से..क्या हिजाब करना...!!
ये जरुरी नहीं की हर सवाल लाजिमी हो...
हर सवाल का क्या जवाब करना ...!!
इतनी बेदिली में भी ..जो मस्त जीये चले जातें हैं...
मेरे इस तकमील पर... कोई खिताब करना ...
बेरुखी इतनी, अच्छी नहीं..किसी सूरत-ए-हाल में ...
इतना तो मरासिम रखना, की आदाब करना...!!!
जो मुमकिन हो.. तो मत कर, इन लहरों से दिल्लगी 'साहिल'
जो खुद हों बेताब, उन्हें और क्या बेताब करना..!!
(हिजाब: veil; तकमील: achievement; खिताब: to give some name in honour;
मरासिम: relationship; आदाब: to greet)
Sunday, July 12, 2009
यूँ ही रुक जाएँगी किसी रोज़... साँसे चलते-चलते ....
दफ्फतन जैसे बुझ जाते हैं कभी ..चिराग जलते-जलते ...!!
न मिलाकर यूँ सब से.... इतने अंदाज़ बदल बदल के ....
इंसान बदल जाते हैं ...चेहरे बदलते-बदलते.....!!
वो बदकिस्मत, जो टूट जाते हैं.... गम-ए-हबीब में ...
एक उम्र लग जाती हैं.... उन्हें फिर संभलते-संभलते ...!!
मत इतरा इतना, जो मिल गया है तुझको... सारा आकाश ....
अरे परिंदे भी घर लौट आते हैं ..शाम के ढलते-ढलते...!!!
दूर ही रखना खुद को ...फितना-ए-मुहब्बत से 'साहिल'
रात गुजरेगी वरना,.. करवटे बदलते-बदलते...!!!
(दफ्फतन- suddenly; गम-ए-हबीब: sorrow after break off with beloved; )
फितना-ए-मुहब्बत: tricks of love)
Friday, July 3, 2009
क्या गरज उसे पड़ी... वो क्यूँ हमपे एतबार करे...?हम जो दीवाने हैं... तो हैं... वोह क्यूँ हमसे प्यार करे...?ख्वाहिश है पाने की... इसे, उसी चेहरे को...ख्वाबों में जिसका... ये दीदार करे....!!!
इस दिल-ए-नादान के... शौक भी हद हैं...कोई इस दिल-ए-नादान का.. कुछ तो .. मेरे यार करे...!!!एक हुजूम है.. दिवानो का ... मुन्तजिर में उसके ...क्या बड़ी बात.. जो हम जाँ निसार करें..?कभी तो टूटता दिखता है.. बाँध मेरे सब्र का...आखिर कब तक... कोई किसी का... इंतजार करे..........!!!और, जबकि मालूम है तुझे.. दूरियां.. चाँद सितारों की 'साहिल'...जिद उसे छूने की..... फिर क्यूँ ...बार बार करे...?
(मुन्तजिर - to be awaited for some one )
Subscribe to:
Posts (Atom)