Sunday, July 12, 2009



यूँ ही रुक जाएँगी किसी रोज़... साँसे चलते-चलते ....
दफ्फतन जैसे बुझ जाते हैं कभी ..चिराग जलते-जलते ...!!

न मिलाकर यूँ सब से.... इतने अंदाज़ बदल बदल के ....
इंसान बदल जाते हैं ...चेहरे बदलते-बदलते.....!!

वो बदकिस्मत, जो टूट जाते हैं.... गम-ए-हबीब में ...
एक उम्र लग जाती हैं.... उन्हें फिर संभलते-संभलते ...!!

मत इतरा इतना, जो मिल गया है तुझको... सारा आकाश ....
अरे परिंदे भी घर लौट आते हैं ..शाम के ढलते-ढलते...!!!

दूर ही रखना खुद को ...फितना-ए-मुहब्बत से 'साहिल'
रात गुजरेगी वरना,.. करवटे बदलते-बदलते...!!!



(दफ्फतन- suddenly; गम-ए-हबीब: sorrow after break off with beloved; )
फितना-ए-मुहब्बत: tricks of love)

Friday, July 3, 2009

क्या गरज उसे पड़ी... वो क्यूँ हमपे एतबार करे...?
हम जो दीवाने हैं... तो हैं... वोह क्यूँ हमसे प्यार करे...?


ख्वाहिश है पाने की... इसे, उसी चेहरे को...
ख्वाबों में जिसका... ये दीदार करे....!!!


इस दिल-ए-नादान के... शौक भी हद हैं...
कोई इस दिल-ए-नादान का.. कुछ तो .. मेरे यार करे...!!!


एक हुजूम है.. दिवानो का ... मुन्तजिर में उसके ...
क्या बड़ी बात.. जो हम जाँ निसार करें..?


कभी तो टूटता दिखता है.. बाँध मेरे सब्र का...
आखिर कब तक... कोई किसी का... इंतजार करे..........!!!


और, जबकि मालूम है तुझे.. दूरियां.. चाँद सितारों की 'साहिल'...
जिद उसे छूने की..... फिर क्यूँ ...बार बार करे...?



(मुन्तजिर - to be awaited for some one )