मुझे उनको मनाने का करीना ना आया ..
उनकी भी जबीं पे.. कभी पसीना ना आया ..!!!
मैं फ़कत लड़ता ही रहा..लहरों से..गम-ए- यार की...
साहिल पे कभी मेरे सफीना ना आया..!!
मेरा साकी भी..बरहम ही रहा..मुझसे उम्र तमाम..
लग्जिश मेरी ..मुझको अदब-ए-पीना ना आया..!!!
एक मुद्दत से जंग है..ज़हन-ओ दिल के दरम्यान..
एक मुद्दत से उनमें ..सकीना ना आया..!!!
अहद -ए-तर्क करते फिरते हैं..हर नाकामियों के बाद..
मुझ ही को शायद सलीका -ए -जीना ना आया..!!!
(करीना: rule/skill; सफीना: boat; बरहम:upset; लग्जिश:mistake; ज़हन: mind;
सकीना: peace; अहद -ए-तर्क: promise to withdraw; सलीका: ways)