Thursday, March 12, 2009


क्या अजब है ...यह कैसा हुनर देखते हैं ...
हम खुद पे ...उनकी फुरक़त का असर देखते हैं ....!!!

मेरी निगाहों में ....बसा रहता है चेहरा उनका ....
और वो हैं की ...हमे बे-मुर्र्वत, बे-खबर देखते हैं ...!!

वो बरहम हुआ है ....तो कुछ तो बात रही होगी ...
क्या रह गयी थी.. हमसे कसर देखते हैं ...!!

उनका आना, फिर चले जाना ..तो एक मुक्कद्दर ही था ....
अब कैसे होगी अपनी.... ये बसर देखते हैं ...!!!

क्या बताएं की क्या मिला ... तोहफा-ए-इश्क हमें ......
रात तन्हाइयों में ...चाक-ए-जिगर देखते हैं ...!!!

क़फ़स-ए-उल्फत में जिंदगी का हाल न पूछो ....
हम खुद को कितना .. होता हुआ बे-असर देखते हैं ....!!!

हमसे मरासिम का वो शायद रख भी ले कुछ भरम ....
बड़े खलिश से हम राह-गुज़र देखते हैं ...!!

लौट भी आओ ...कठिन बड़ी है ... राह-ए-जिंदगी ....
की हम तुझमे ही अपना हम-सफ़र देखते हैं ...!!

(फुरक़त- to get separated; बे-मुर्रुवत- unconcerned; बरहम- upset;
चाक-ए-जिगर: wounded heart; क़फ़स -ए -उल्फत:prison of love;)

Thursday, March 5, 2009



नज़रों में जिसके गौहर की शफक हो ....
गेसूं जो बिखरे तो गुलाबों की महक हो ....!!!

बहारें खुद आ कर जिसकी मेजबानी करे .....
गुलज़ार खुद जिसकी गुल -अफ्सानी करे ...!!!

मुस्कराहट पे निसार जिसके .. ये जमी , ये फलक हो ....
नूर - ए -रुक्सन ऐसा , जैसे सुबह की उफक हो .....!!!

पलकों पे सजा हो ....शबनम का हुबाब .....
एक चेहरा ऐसा , जैसे सुनहला ख्वाब .....!!

अंगडाई में जिसके ...कैफ हो ....कशिश हो .....
अंदाज़ -ए -गुफ्तगू भी ....अजीम -ओ -नफीस हो ...!!!

लफ्जों में हो जिसके हो .....शहद -ए -शीरीं .....
मुख्तलिफ हो हर अदा , और हर अदा बेहतरीन ....!!!

निखत -ए -जिस्म से मिले .... ज़हन को सुकूं....
एक शख्सियत जिसकी ....अदाएं कुछ हो यूं ..!!

ऐ काश की हकीकत यह नाजनीन हो जाए ...
दुआएं हो कुबूल ...आमीन हो जाए ...!!!


(Gauhar: Moti/Pearl ; Shafak:shining ; Gesun:hairs ;
Gulzar: Garden; Gul-Afsaani: To scatter flower;
Noor-e-Ruksan: glow of the face ; Ufaq: Horizon;
hubaab: Bubbles/Drops;
Angdaai: ; Kaif: sm thing which can hypnotise, or intoxicate; Kashish: Attraction/Luring ; Shevaa-e-Taslim: style of greeting; Azeem-o-nafees:Grand and Excellent;
Sheereen: Sweet; Mukhtalif: of different type/ not common; Nikhat-e-jism: The fragrance of the body; Zehen-Mind/thought; waaez- a wise/religious man; harf-ba-harf: word by word/Literally )