Tuesday, December 8, 2009



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Friday, October 2, 2009

अफ्सुर्दगी-ए-दिल में भी जी को जलाते रहे ..
हम भी बे- वजह खुद को आजमाते रहे. ...!!

जाने कौन सी घड़ी में.. ये इख्तियार-ए-हुनर कर लिया ..
उलझी हुई जिंदगी को और भी उलझाते रहे....!!

कुछ तो एहसास पहले भी था, मंजिल की हकीकत का...
फिर भी, चलते रहे, खुद को बहलाते रहे...!!

वो जो उम्मीद सी थी..यूँ बे-वजह भी न थीं...
वो भी अपने ही थे ..जो सब्ज-बाग़ दिखलाते रहे ...!!

शायद यही दुनिया का चलन हो..ये मान कर हम..
मिलते जुलते रहे...आते जाते रहे...!!!


फिर कभी जो धुन सी सवार हुई...तो 'साहिल' की रेत पे....
बैठ कर घंटों..जाने क्या क्या बनाते रहे...!!!



(अफ्सुर्दगी-disappointment; इख्तियार-ए-हुनर: developing a skill;सब्ज-बाग़- )

Friday, September 4, 2009

कभी उतरते थे दिल में, अब दिल से उतर जाते हैं...
चुनते हैं खुद को,.. फिर खुद ही बिखर जाते हैं.....!!!

बज्म-ए-यार की कुछ यूँ आदत सी पड़ गयी...
एहसास-ए-तन्हाई से अब डर जाते हैं...!!!

न कोई मंजिल, न ठिकाना, न कोई जुस्तजू ...
बस चल चलें हैं,.. जहाँ तक राहगुजर जाते हैं...!!

न कोई रब्त, न ही आशना किसी से ....
कोई मिले भी तो,.. बचाकर नज़र जाते हैं....!!!

हम भी उनसे कुछ दूसरे न निकले
जो फकत जीते हैं,.. फिर मर जाते हैं...!!!

कभी मिलें,.. तो पूछूंगा,.. उनसे दुनिया का फरेब....
सुना है फ़कीर घर-घर जाते हैं...!!!

दे सको कुछ मुझको, तो थोडी दुआएँ ही दे दो....
कहते हैं, दुआओं से किस्मत संवर जाते हैं...!!

खैर, इतने मायूस भी न हो, ..की अब भी कुछ नहीं बिगड़ा ...
'साहिल', ये वक्त के पहिये हैं,...आते हैं, गुजर जाते हैं..!!



(बज्म: gathering; जुस्तजू : desires; राहगुजर: road; रब्त:closeness; आशना: aquaintance;)

Thursday, August 20, 2009

बंद तो होनी ही हैं आँखे..क्या ख्वाब करना...
क्या अच्छा , क्या बुरा, क्या हिसाब करना ..!!

हम जो करते हैं...मर्ज़ी है खुदा की ही...
क्या छुपा है उस से..क्या हिजाब करना...!!

ये जरुरी नहीं की हर सवाल लाजिमी हो...
हर सवाल का क्या जवाब करना ...!!

इतनी बेदिली में भी ..जो मस्त जीये चले जातें हैं...
मेरे इस तकमील पर... कोई खिताब करना ...

बेरुखी इतनी, अच्छी नहीं..किसी सूरत-ए-हाल में ...
इतना तो मरासिम रखना, की आदाब करना...!!!

जो मुमकिन हो.. तो मत कर, इन लहरों से दिल्लगी 'साहिल'
जो खुद हों बेताब, उन्हें और क्या बेताब करना..!!




(हिजाब: veil; तकमील: achievement; खिताब: to give some name in honour;
मरासिम: relationship; आदाब: to greet)












Sunday, July 12, 2009



यूँ ही रुक जाएँगी किसी रोज़... साँसे चलते-चलते ....
दफ्फतन जैसे बुझ जाते हैं कभी ..चिराग जलते-जलते ...!!

न मिलाकर यूँ सब से.... इतने अंदाज़ बदल बदल के ....
इंसान बदल जाते हैं ...चेहरे बदलते-बदलते.....!!

वो बदकिस्मत, जो टूट जाते हैं.... गम-ए-हबीब में ...
एक उम्र लग जाती हैं.... उन्हें फिर संभलते-संभलते ...!!

मत इतरा इतना, जो मिल गया है तुझको... सारा आकाश ....
अरे परिंदे भी घर लौट आते हैं ..शाम के ढलते-ढलते...!!!

दूर ही रखना खुद को ...फितना-ए-मुहब्बत से 'साहिल'
रात गुजरेगी वरना,.. करवटे बदलते-बदलते...!!!



(दफ्फतन- suddenly; गम-ए-हबीब: sorrow after break off with beloved; )
फितना-ए-मुहब्बत: tricks of love)

Friday, July 3, 2009

क्या गरज उसे पड़ी... वो क्यूँ हमपे एतबार करे...?
हम जो दीवाने हैं... तो हैं... वोह क्यूँ हमसे प्यार करे...?


ख्वाहिश है पाने की... इसे, उसी चेहरे को...
ख्वाबों में जिसका... ये दीदार करे....!!!


इस दिल-ए-नादान के... शौक भी हद हैं...
कोई इस दिल-ए-नादान का.. कुछ तो .. मेरे यार करे...!!!


एक हुजूम है.. दिवानो का ... मुन्तजिर में उसके ...
क्या बड़ी बात.. जो हम जाँ निसार करें..?


कभी तो टूटता दिखता है.. बाँध मेरे सब्र का...
आखिर कब तक... कोई किसी का... इंतजार करे..........!!!


और, जबकि मालूम है तुझे.. दूरियां.. चाँद सितारों की 'साहिल'...
जिद उसे छूने की..... फिर क्यूँ ...बार बार करे...?



(मुन्तजिर - to be awaited for some one )

Saturday, June 20, 2009




अब अपनों से क्या शिकवा ..क्या गिला करना...
हमने छोड़ दिया है अब... भला करना...!!!

उसका तस्सवुर ही तो सहारा है...जीने के लिए...
क्यूँ भूल जाता है उससे मुब्तिला करना..!!!

वो अगर नहीं करता ...तो तू ही सही...
मिले जब भी वो..उसी जज्बे से मिला करना..!!!

तेरे इश्क को भी होना है आबाद एक दिन....
थोडा सब्र रखना...जरा हौंसला करना...

जंग जो चलती है ..तो चलने दे
...जेहन -ओ -दिल की...
"साहिल"... तू अपने दिल से ही फैसला करना...!!!

(tassawur: memories,dreams; mubtila : entangled; jazba: enthusiasm; jehen-o-dil : mind and heart)

Sunday, May 31, 2009


वो जब भी मिला ..एक फासला रहा..
मुझको उससे... बस यही गिला रहा..

कर पाते जो शिकायत हम .. उससे ..उसी की
..मुझमें कभी ना इतना हौंसला रहा..

तमाम उम्र मैंने मानी है..उसकी हर शर्तें ..
मुझको मंजूर ..उसका हर फैसला रहा...!!!

उसके आने पर खुलूस सी..उसके जाने पर खलिश ..
मेरी जिंदगी का बस यही सिल-सिला रहा...!!!

वो मिला तो था,एक हमसफ़र कि तरह..राह-ए-जिंदगी में ...
अब संग मेरे...फ़कत यादों का काफिला रहा..!!!

मेरे गम का ,मेरी ख़ुशी से मरासिम क्या कहिये ..
जैसे पानी में कोई बुलबुला रहा..!!!!

वोह सुनाता था अक्सर ... मुझे किस्से तन्हाइयों के ....
क्या खबर उसे....की मैं कितना अकेला रहा.....!!

मुमकिन है..मेरे हिस्से थीं...और भी लज्जत-ए-हयात...
पर मैं तो बस..उसी के ख्यालों में मुब्तिला रहा....!!!

अब शिकयतें क्या करनी... अपनी ही किस्मत से 'साहिल'
सो मान लिया की...खैर, जो भी रहा ..अच्छा रहा, भला रहा...!!


(खुलूस सी: sweet feeling; खलिश: anxiety; लज्जत-ए-हयात: Good things of life; मुब्तिला : entangled)

Wednesday, April 8, 2009


मुझे उनको मनाने का करीना ना आया ..
उनकी भी जबीं पे.. कभी पसीना ना आया ..!!!

मैं फ़कत लड़ता ही रहा..लहरों से..गम-ए- यार की...
साहिल पे कभी मेरे सफीना ना आया..!!

मेरा साकी भी..बरहम ही रहा..मुझसे उम्र तमाम..
लग्जिश मेरी ..मुझको अदब-ए-पीना ना आया..!!!

एक मुद्दत से जंग है..ज़हन-ओ दिल के दरम्यान..
एक मुद्दत से उनमें ..सकीना ना आया..!!!

अहद -ए-तर्क करते फिरते हैं..हर नाकामियों के बाद..
मुझ ही को शायद सलीका -ए -जीना ना आया..!!!

(करीना: rule/skill; सफीना: boat; बरहम:upset; लग्जिश:mistake; ज़हन: mind;
सकीना: peace; अहद -ए-तर्क: promise to withdraw; सलीका: ways)



Wednesday, April 1, 2009


ऐसे खुशकिस्मत कहाँ ..कि कोई हमसफ़र मिले..
बस जाए मेरी नज़रों में....कोई ऐसी नज़र मिले ..!!!

मिल न सका पनाह.. हमे एक बस्ती- - दिल में..
मिलने को ...यूँ तो.. कई सेहरा -ओ-शहर मिले....!!!

ऐ काश कि, कभी तो करम हो,... और आये रु-ब-रु ..
वो जो ख्वाबों में मुझको अक्सर मिले..!!

एक मुझको ही उसकी संग दिली का इल्म न था..
बाकी सब ..इस से बा-खबर मिले..!!!

झूझता फिरता हूँ तल्खियों से जमाने की..
मुझए कभी तो कुछ फिरदौस-ऐ -नज़र मिले...!!!

इंतहा अब और क्या होगी...
मुझको खुशियों में भी नौहागर मिले....!!

अब के मिला बजाहिर..तो पूछूंगा बेरुखी का सबब..
की मेरे उम्मीद-ओ-बीम को कोई तो दर मिले..!!!


(तल्खियां- bitterness; फिरदौस -ए-नज़र: paradise for the sight;
नौहागर :mourner/lamentor; बजाहिर - face to face; उम्मीद -ओ -बीम : expectations & dissappointment )



Thursday, March 12, 2009


क्या अजब है ...यह कैसा हुनर देखते हैं ...
हम खुद पे ...उनकी फुरक़त का असर देखते हैं ....!!!

मेरी निगाहों में ....बसा रहता है चेहरा उनका ....
और वो हैं की ...हमे बे-मुर्र्वत, बे-खबर देखते हैं ...!!

वो बरहम हुआ है ....तो कुछ तो बात रही होगी ...
क्या रह गयी थी.. हमसे कसर देखते हैं ...!!

उनका आना, फिर चले जाना ..तो एक मुक्कद्दर ही था ....
अब कैसे होगी अपनी.... ये बसर देखते हैं ...!!!

क्या बताएं की क्या मिला ... तोहफा-ए-इश्क हमें ......
रात तन्हाइयों में ...चाक-ए-जिगर देखते हैं ...!!!

क़फ़स-ए-उल्फत में जिंदगी का हाल न पूछो ....
हम खुद को कितना .. होता हुआ बे-असर देखते हैं ....!!!

हमसे मरासिम का वो शायद रख भी ले कुछ भरम ....
बड़े खलिश से हम राह-गुज़र देखते हैं ...!!

लौट भी आओ ...कठिन बड़ी है ... राह-ए-जिंदगी ....
की हम तुझमे ही अपना हम-सफ़र देखते हैं ...!!

(फुरक़त- to get separated; बे-मुर्रुवत- unconcerned; बरहम- upset;
चाक-ए-जिगर: wounded heart; क़फ़स -ए -उल्फत:prison of love;)

Thursday, March 5, 2009



नज़रों में जिसके गौहर की शफक हो ....
गेसूं जो बिखरे तो गुलाबों की महक हो ....!!!

बहारें खुद आ कर जिसकी मेजबानी करे .....
गुलज़ार खुद जिसकी गुल -अफ्सानी करे ...!!!

मुस्कराहट पे निसार जिसके .. ये जमी , ये फलक हो ....
नूर - ए -रुक्सन ऐसा , जैसे सुबह की उफक हो .....!!!

पलकों पे सजा हो ....शबनम का हुबाब .....
एक चेहरा ऐसा , जैसे सुनहला ख्वाब .....!!

अंगडाई में जिसके ...कैफ हो ....कशिश हो .....
अंदाज़ -ए -गुफ्तगू भी ....अजीम -ओ -नफीस हो ...!!!

लफ्जों में हो जिसके हो .....शहद -ए -शीरीं .....
मुख्तलिफ हो हर अदा , और हर अदा बेहतरीन ....!!!

निखत -ए -जिस्म से मिले .... ज़हन को सुकूं....
एक शख्सियत जिसकी ....अदाएं कुछ हो यूं ..!!

ऐ काश की हकीकत यह नाजनीन हो जाए ...
दुआएं हो कुबूल ...आमीन हो जाए ...!!!


(Gauhar: Moti/Pearl ; Shafak:shining ; Gesun:hairs ;
Gulzar: Garden; Gul-Afsaani: To scatter flower;
Noor-e-Ruksan: glow of the face ; Ufaq: Horizon;
hubaab: Bubbles/Drops;
Angdaai: ; Kaif: sm thing which can hypnotise, or intoxicate; Kashish: Attraction/Luring ; Shevaa-e-Taslim: style of greeting; Azeem-o-nafees:Grand and Excellent;
Sheereen: Sweet; Mukhtalif: of different type/ not common; Nikhat-e-jism: The fragrance of the body; Zehen-Mind/thought; waaez- a wise/religious man; harf-ba-harf: word by word/Literally )

Sunday, February 15, 2009


वक्त गुजरता रहा जिन्दगी के इम्तेहान में ...
रात होती , तो हम तकते आसमान में ...!!!

मेरे हर आगाज़ का अंजाम , बे -असर ही रहा ....
मुक्कदर मेरा , ना जाने , है किसके अमान में ...?

बे -इरादा कोई लग्जिश , हमसे ही हुई हो शायद ...
पर खामियां तो होती ही हैं इंसान में ....!!!

सूरत -ए -हाल भी कुछ यूँ बदला है , हर सेहरा -ओ -शेहेर का ...
के वक्त मांगो भी किसी से , तो मिलता है एहसान में ...!!!

अब तो मरासिम भी कोई बनता नहीं, बे -जरुरत किसे से ....
ख़यालात कितने मुख्तलिफ हो चुंके हैं इस जहान में ...!!!

गौर फ़रमाया जो हमने , तो मिले कई हम -नफस ....
फ़साना सबका एक सा था , फर्क था तो सिर्फ , उन्वान में ...!!

मुझे तो शक है , की उसका (खुदा ) वजूद है भी की नहीं ....
हम क्यूँ जाते हैं मंदिर ? किसे ढूँढ़ते हैं रहमान में ..??


( Aagaaz- starting of something, Amaan-possesion, Lagjish- mistake, Maraasim- Relationship, Mukhtalif- Of different type, Unwaan- title )


Saturday, January 3, 2009


ऐ .. काश की तवक्को से अपनी भी तकदीर तो मिले …

चस्म -ए -तसव्वुर से देखे गए ख्वाबों की कुछ ताबीर तो मिले …!!!


यूँ जो फिरते हैं बेकल -बेकल , हर शाम -ओ -सुबह …

हम खुद ही संभल जायेंगे ,... कोई बशीर तो मिले …!!!


वो कुछ लोग , जो जान लेते हैं , मुक्कद्दर सब का ….

हमें भी इंतजार है ,….. कोई ऐसा फ़कीर तो मिले …..!!!


फिर से आ जायेंगे हमें खुश रहने के आदाब …..

कैद -ए -आजार से निजात की .... कोई तफसीर तो मिले ….!!!


मुख्तसर खुद -बी - खुद हो जाएगा अपना भी राह -ए - सफ़र …..

तबियत जिसकी मिलती हो हमसे ….कोई ऐसा राहगीर तो मिले ….!!!



(Tawaqqo- expectations, Chasm-e-Tasawwur: eyes of imagination, Taabeer- out come of the dream, Bekal- uneasy/restless, Basheer – a messenger of good news, Aadab- ways/manners, kaid-prison, aazar-difficulties, Tafseer- keys, Mukhtasar-shortend)

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